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04 May 2023
अति आवश्यक है स्त्रियों की स्वास्थ्य रक्षा-आयुर्वेद से है स्त्री रोगों का उपचार संभव
डॉ. मांडवी गौतम - डॉ. विनोद कुमार गौतम
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इस सृष्टि के दो महत्वपूर्ण स्तंभ है नर नारी दोनों के बिना सृष्टि की कल्पना भी नहीं की जा सकती है क्योंकि सृष्टि को अनवरत चलाने में आदिकाल से ही दोनों की महती भूमिका है। नर एवं नारी एक दुसरे के बिना अधूरे रह जाते है, जैसे शिवजी सती के बिना शव के समान हो गये थे और सृजन की जगह विध्वंस करने लग गये थे, अत: नर एवं नारी दोनों का सामंजस्य से ही सृष्टि चलती है जितना आवश्यक नर है उतनी ही आवश्यक नारी है और उस सामंजस्य को बनाये रखने के लिए नारी का निरोगी रहना भी उतना ही आवश्यक है  


महिलाओं के स्वास्थ्य कि बात करें तो आमतौर पर घर समाज की जिम्मेदारियों को निभाते हुए महिला अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रख पाती है और उसका स्वास्थ्य दिनों दिन बिगड़ता जाता है सामान्य बीमारियों का तो उपचार करवा दिया जाता है परन्तु महिलाओं की विशेष बीमारियों को वो आसानी से बता नहीं पाती है  उन्ही की जानकारी हेतु आज के यह लेख उन महिलाओं को समर्पित है ताकि वो इन को समझ सकें और सही उपचार ले सके  


स्त्रियों की समस्याएं उनका आयुर्वेदीय उपचार


  1. माहवारी सम्बन्धित समस्याएं - अनियमित खानपान एवं अनुपयुक्त जीवनशैली रखने और माहवारी के समय उचित आहार-विहार ना लेने की वजह से अधिकांश स्त्रियों को पीरियड्स में अनियमितता हो जाती है, जैसे माहवारी का कम या ज्यादा आना, देर से या जल्दी जल्दी आना अथवा महीने से अधिक समय तक पीरियड ना आना, अत्यधिक दर्द आदि  


इन सभी समस्याओं में उचित आहार विहार एवं नियमित योग प्राणायाम करते हुए जनानांगो की साफ़ सफाई का अधिक ध्यान रखे, इन रोगों में पुष्यानुग, नागकेशर, शतावरी, बालसुधा, दशमूल आदि औषध का उपयोग योग्य आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह लेकर करने पर यह समस्याएँ पूर्ण तरह से ठीक हो जाती है


  1. गर्भाशय सम्बन्धित समस्याएंगर्भाशय में कई प्रकार की गांठ एवं फ़ाइब्रोइड का बनना एवं पीसीओडी हो जाना जैसी समस्याएं महिला के प्रजनन तन्त्र को नुक्सान पहुचाती है जिस कारण से अन्य उपद्रवों के साथ साथ कई बार निसंतानता की भी स्थिति भी उत्पन्न हो जाती है जिसका उपचार अतिआवश्यक है।

पीसीओडी की समस्या आजकल सामान्य होती जा रही है हर पांच में से 2 महिलाएं इस समस्या से जूझ रही है इसमें पीरियड संबंधी सभी अनियमितताएं देखी जाती हैं, जो एक  लाइफ स्टाइल डिसऑर्डर है, जिसका महत्वपूर्ण कारण अत्यधिक तनाव फास्ट फूड खाना एवं शारीरिक परिश्रम का ना होना है बचाव करने से ही इस बीमारी से आराम दे सकता है।


इन समस्याओ में कांचनार गुग्गुलु, वृद्धिवाधिका वटी, शतपुष्पा, लोध्र, पुष्यानुग आदि औषध अच्छा परिणाम देती है जिन पर कई आयुर्वेद चिकित्सालयों में अनुसन्धान भी हो चूका है  


  1. सफेद पानी का स्राव (ल्यूकोरिया) - ल्यूकोरिया जिसे आम भाषा में सफेद पानी के नाम से जाना जाता है अत्यधिक मानसिक तनाव एवं खानपान का और प्रॉपर हाइजीन एवं स्वच्छता का ध्यान नही रखने से यह बीमारी हो जाती है आयुर्वेद चिकित्सक को यदि समय पर दिखा दिया जाए इस बीमारी से पूरी तरह से ठीक हुआ जा सकता है  


  1. खून की कमी (एनीमिया) - पीरियड्स में ब्लीडिंग होने से, पोषण की कमी से स्त्रियों में एनीमिया की शिकायत हो जाती है। जिसमें स्त्रियों को कमजोरी ,चक्कर आना आदि समस्याएं  हो जाती है, ऐसे अनार, हरी सब्जियां, गुड चना का प्रयोग, मुनक्का आदि खाने में लेंवे समय पर एवं ताजा भोजन करें, प्रतिदिन एक घंटा खुद के लिए निकाल कर योग प्राणायाम, कपालभाति आदि करें आयुर्वेद में पुनर्नवा मंडूर लोहासव लोह  भस्म आदि औषध द्वारा इसका उपचार सफलता पूर्वक किया जा सकता है  
  2. रजोनिवृत्ति सम्बन्धित समस्याएं (मिनोपाजल सिंड्रोम)सामान्यतः स्त्रियों को 45 से 50 वर्ष के बीच में स्त्रियों को रजोनिवृत्ति (मेनोपोज) होता है परन्तु आजकल अनुचित आहार-विहार, अनावश्यक तनाव चिंता एवं अनुपयुक्त जीवन शैली की वजह से यह जल्द होने लगा है एवं इसके होते समय कई उपद्रव महिला को परेशान करते है इस वजह से कैल्शियम की कमी कमजोरी जैसे लक्षण सामने आते है इसमें आने वाले लक्षणों में अजवाइन के लड्डू बड़े कारगर साबित होते हैं  खानपान में दूध दही पनीर का सेवन करना चाहिए  

अधिकांश रोगों में आयुर्वेद  मे शतावरी अश्वगंधा अजवाइन इत्यादि का प्रयोग आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श अनुसार किया जाना चाहिए  


       डॉ. मांडवी गौतम                                                                               डॉ. विनोद कुमार गौतम 

सीनियर मेडिकल ऑफिसर / लेक्चरर                                                सीनियर मेडिकल ऑफिसर / लेक्चरर 

राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, कोटा                                राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, कोटा



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