इस सृष्टि के दो महत्वपूर्ण स्तंभ है । नर व नारी दोनों के बिना सृष्टि की कल्पना भी नहीं की जा सकती है । क्योंकि सृष्टि को अनवरत चलाने में आदिकाल से ही दोनों की महती भूमिका है। नर एवं नारी एक दुसरे के बिना अधूरे रह जाते है, जैसे शिवजी सती के बिना शव के समान हो गये थे और सृजन की जगह विध्वंस करने लग गये थे, अत: नर एवं नारी दोनों का सामंजस्य से ही सृष्टि चलती है । जितना आवश्यक नर है उतनी ही आवश्यक नारी है और उस सामंजस्य को बनाये रखने के लिए नारी का निरोगी रहना भी उतना ही आवश्यक है ।
महिलाओं के स्वास्थ्य कि बात करें तो आमतौर पर घर समाज की जिम्मेदारियों को निभाते हुए महिला अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रख पाती है और उसका स्वास्थ्य दिनों दिन बिगड़ता जाता है । सामान्य बीमारियों का तो उपचार करवा दिया जाता है परन्तु महिलाओं की विशेष बीमारियों को वो आसानी से बता नहीं पाती है उन्ही की जानकारी हेतु आज के यह लेख उन महिलाओं को समर्पित है ताकि वो इन को समझ सकें और सही उपचार ले सके ।
स्त्रियों की समस्याएं व उनका आयुर्वेदीय उपचार -
इन सभी समस्याओं में उचित आहार विहार एवं नियमित योग प्राणायाम करते हुए जनानांगो की साफ़ सफाई का अधिक ध्यान रखे, इन रोगों में पुष्यानुग, नागकेशर, शतावरी, बालसुधा, दशमूल आदि औषध का उपयोग योग्य आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह लेकर करने पर यह समस्याएँ पूर्ण तरह से ठीक हो जाती है ।
पीसीओडी की समस्या आजकल सामान्य होती जा रही है हर पांच में से 2 महिलाएं इस समस्या से जूझ रही है । इसमें पीरियड संबंधी सभी अनियमितताएं देखी जाती हैं, जो एक लाइफ स्टाइल डिसऑर्डर है, जिसका महत्वपूर्ण कारण अत्यधिक तनाव फास्ट फूड खाना एवं शारीरिक परिश्रम का ना होना है बचाव करने से ही इस बीमारी से आराम दे सकता है।
इन समस्याओ में कांचनार गुग्गुलु, वृद्धिवाधिका वटी, शतपुष्पा, लोध्र, पुष्यानुग आदि औषध अच्छा परिणाम देती है जिन पर कई आयुर्वेद चिकित्सालयों में अनुसन्धान भी हो चूका है ।
अधिकांश रोगों में आयुर्वेद मे शतावरी अश्वगंधा अजवाइन इत्यादि का प्रयोग आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श अनुसार किया जाना चाहिए ।
डॉ. मांडवी गौतम डॉ. विनोद कुमार गौतम
सीनियर मेडिकल ऑफिसर / लेक्चरर सीनियर मेडिकल ऑफिसर / लेक्चरर
राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, कोटा राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, कोटा